अजब-गज़ब समाचार: दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है। विज्ञान ने उम्मीद से कहीं ज्यादा तरक्की कर ली है। यहां तक कि लोग चांद पर बसने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में आदिमानव जीवन का अस्तित्व हैरान करने वाला है। यह भी उस देश का वाक्या है, जो दुनियाभर में अपने शक्तिशाली होने का दंभ भरता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दक्षिण अमेरिका की। यहां इक्वेडेर के पूर्वी क्षेत्रों के जंगलों में ऐसी जनजाति रहती, हैं, जो बिना वस्त्र के रहते हैं और आदिमानव का जीवन जीते हैं। चाहे पुरुष हो या महिलाएं या फिर बच्चे, सभी बिना वस्त्र के घूमते हैं।
बेशक, बदलते समय के साथ इंसान के रहन-सहन की आदतों में काफी परिवर्तन हुआ है, लेकिन इक् वेडेर के जंगलों में रहने वाली जनजाति को देखकर यह कतई नहीं कहा जा सकता कि इंसान पूरी तरह से बदला है...इसमें जरा भी संदेह नहीं इंसान अब भी आदिमानव का जीवन जी रहा है। इसका उदाहरण हुऔरनि जनजाति के लोग हैं, जो पहले की तरह ही आदिमानव की तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि दक्षिण अमेरिका के इक्वेडोर के पूर्वी क्षेत्रों में रहने वाली इस जनजाति की महिलाएं घर में ही रहकर खाना बनाती हैं और बच्चों की देखभाल करती हैं, जबकि पुरुष आदिमानव की तरह जंगलों में शिकार करते हैं। इन लोगों का मुख्य भोजन मांसाहार है। हैरानी वाली बात यह है कि मानव सभ्यता में इतना कुछ बदलाव आया है, लेकिन वे अब भी पहले की तरह जीवन जी रहे हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन लोगों के रहन-सहन और खान-पान में कोई बदलाव क्यों नहीं आया?
बेशक, बदलते समय के साथ इंसान के रहन-सहन की आदतों में काफी परिवर्तन हुआ है, लेकिन इक् वेडेर के जंगलों में रहने वाली जनजाति को देखकर यह कतई नहीं कहा जा सकता कि इंसान पूरी तरह से बदला है...इसमें जरा भी संदेह नहीं इंसान अब भी आदिमानव का जीवन जी रहा है। इसका उदाहरण हुऔरनि जनजाति के लोग हैं, जो पहले की तरह ही आदिमानव की तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि दक्षिण अमेरिका के इक्वेडोर के पूर्वी क्षेत्रों में रहने वाली इस जनजाति की महिलाएं घर में ही रहकर खाना बनाती हैं और बच्चों की देखभाल करती हैं, जबकि पुरुष आदिमानव की तरह जंगलों में शिकार करते हैं। इन लोगों का मुख्य भोजन मांसाहार है। हैरानी वाली बात यह है कि मानव सभ्यता में इतना कुछ बदलाव आया है, लेकिन वे अब भी पहले की तरह जीवन जी रहे हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन लोगों के रहन-सहन और खान-पान में कोई बदलाव क्यों नहीं आया?
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